प्रश्नमुक्त होकर, प्रसन्न चित्र बनें
प्रश्न. क्या दक्षिण दिशा में बना हुआ मुख्य द्वार वास्तु दोष है ?
उत्तर. ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण किया। उन्होंने मुख्य चार दिशाएं बनायी।पूरब, पश्चिम, उत्तर व दक्षिण। जैसे दिन का पूरक रात्रि होती है , स्त्री का पुरुष, हानि का लाभ, ठीक उसी प्रकार हर दिशा का अपना पूरक होता है ।पूरब का पश्चिम, उत्तर का दक्षिण। पूर्व दिशा हमें सूर्य ऊर्जा देती है। वहीं पश्चिम दिशा हमें चंद्रमा की शीतलता प्रदान करती है। उत्तर दिशा हमें उच्च स्वास्थ्य देता है वहीं दक्षिण दिशा हमें यश व प्रगतिप्रदान करती है। जीवन में हर व्यक्ति का अपना एक लक्ष्य होता है। हर व्यक्ति की अपनी विशेषताएं और गुण होते हैं। ठीक उसी प्रकार हर व्यक्ति की अपनी आकांक्षाएं भी दूसरे व्यक्ति से भिन्न होती हैं। किसी को शांति प्रिय होती है और कोई आगे बढ़ने व प्रगति से प्रसन्न रहते हैं। जब भी एक वास्तु विशेषज्ञ कोई ाी स्थान का निरीक्षण के लिए जाता है, तो उसका यह जानना बहुत आवश्यकता है कि घर के मुखिया की आकांक्षाएं क्या है? साथ ही मुखिया की कुंडली अध्ययन करना बहुत आवश्यक होता है। अध्ययन केपश्चात मुख्य द्वार की स्थिति निर्धारित की जाती है। कई बार देखा गया है कुछ लोगों के लिए दक्षिण दिशा का मुख्य द्वार अनुकूल होता है। यह कहना भ्रांति है कि दक्षिण दिशा का मुख्य द्वार वास्तु दोष है। आधुनिक वास्तु शास्त्र अनुसार कुल मिलाकर दिशा कोण के अनुसार 9 दिशाएं मुख्य द्वार के लिए शुभ फलदाई होती हैं। साथ ही मुखिया की कुंडली अध्ययन करना ाी अनिवार्य होता है। दक्षिण दिशा के मुख्य द्वार अगर उचित कोण में हो तो जातक को प्रगति व यश प्रदान करता है। तो यह कहना ठीक होगा कि उचित आधुनिक वास्तु विशेषज्ञ सलाह लेकर ही कोई निर्णय।
प्रश्न. क्या घर में काले रंग का प्रयोग करना शुभ होता है ?
उत्तर. कलर थेरेपी अनुसार काला रंग कष्ट व नकारात्मक ऊर्जा को सोखने का काम करता है। इस रंग का प्रयोग हम सुरक्षा के लिए करते हैं। जैसे पैरों में बंधा काला धागा। आंखों में काजल व गले में मंगलसूत्र। हमने यह भी देखा है कि सूफी संत काले रंग का चोला पहनते हैं। यह संत सभी के कष्ट अपने अंदर सोख लेते हैं और प्रभु भजन में लीन रहते हैं । किंतु हम में इतनी शक्ति नहीं है कि हम सब के दुख अपने अंदर ले पाए। अगर कोई व्यक्ति अपने घर में गहरे या काले रंग का प्रयोग करता है तो कहीं ना कहीं वह नकारात्मक ऊर्जा को अपने घर में जगह दे रहा है। चाइनीस फेंगशुई में घर की उत्तर दिशा में काले रंग काप्रयोग बताया गया है। किंतु वैदिक वास्तु अनुसार काला रंग का प्रयोग उस दिशा की ऊर्जा को अवरोधित करता है। हमारी संस्कृति में काला रंग आशुभता काप्रतीक है। व सफेद शीतलता देता है। इस कारण घर में काले रंग का पेंट कराना नकारात्मक ऊर्जा का स्वागत करने के समान है। किंतु मुख्य द्वार पर गहरे रंग का नौखरौटा अवश्य लगाएं। साथ ही समय-समय पर इसे बदलते रहे या फिर अरोमा स्प्रे से शुद्ध करें।
प्रश्न. हमारे जीवन में राहु ग्रह का क्या महत्व है ?क्या यह ग्रह अभिशाप है ?
उत्तर. राहु एक छाया ग्रह है। यह एक ऐसा ग्रह है जिसका सिर ही सिर होता है। राहु ग्रह के प्रभाव से व्यक्ति मे भौतिकवादी व पदार्थवादी सोच उत्पन्न होती है। वह सिर्फ अपने बारे में ही सोचता है। वह स्वार्थी और स्वकेंद्रित हो जाता है। वह अपनी जिंदगी में सफलता पाने के लिए अल्प मार्ग ढूंढने का प्रयास करता है। वास्तव में सफलता। मेहनत से ही मिलती है। इसका कोई अल्प मार्ग नहीं है। इस कारण राहु की महादशा व अंतर्दशा मे व्यक्ति को विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। क्योंकि वह जल्द से जल्द बहुत कुछ पाने की आकांक्षा रखता है। हमारे देश में पुरातन काल से परोपकार करना करुणा व दानपुण्य को उच्च माना गया है। किंतु राहु व्यक्ति को स्वार्थपरायण बनाता है। इस कारण हम इसे दोष मानते हैं। किंतु आज के आधुनिक युग में जहां हर कोई अपने अपने परिवार को अकेले ही संभाल रहा है तोक्या उसका स्वार्थी होना गलत है? क्या वह अपनेपरिवार के बारे में सोचकर गलत कर रहा है। कोई भी ग्रह सदैव गलत प्रभाव नहीं देते। राहु के प्रभाव से व्यक्ति हिम्मती , साहसी व पराक्रमी बनाता है। इस ग्रह के प्रभाव से व्यक्ति में प्रशासनिक गुणों का विकास होता है। इस ग्रह की शुभ स्थिति व्यक्ति को दुश्मनों पर विजय दिलाकर, शुभ का आगमन भी कराती है। इस कारण राहु के प्रभाव के नाम से लोग भयभीत ना हो। उचित ज्योतिषी द्वारा कुंडली अध्ययन कराकर नकारात्मक स्थिति को सकारात्मक मार्ग दे। प्रश्न. क्या घर में एलोवेरा का पौधा लगाना शुभ होता है ?
उत्तर. वास्तु अनुसार घर में कांटेदार दूधिया पौधा लगाना वर्जित है। कांटेदार पौधे नकारात्मक ऊर्जा फैलाते हैं। वही दूधिया पौधे घर की एकता के लिए ाातक होते हैं। यह आमतौर पर विषैले भी होते हैं। और घर में विष का होना आशुभता का प्रतीक है। ऐलोवेरा एक रसदार पौधा होता है। आयुर्वेद में इसके रस के प्रयोग से अनेकों दवाइयां बनाई जाती हैं। इसके रस के सेवन से अपच , बवासीर , डायबिटीज, गर्भाशय के रोग , पाचन रोग, त्वचा रोग , कील मुंहासे आदि में लाभ मिलता है। यहपौधा प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता है। इस पौधे को अगर उचित दिशा में विशेषज्ञ की निगरानी में लगाया जाए तो यह हठीले व्यक्ति के हट को कम करने में सहायक होता है। जो व्यक्ति दुष्स्भाव व दुराचारी होते है, उन्हे एलोवेरा की हीलिंग से ठीक किया जा सकता है। कुल मिलाकर देखा जाए तो यह एक कांटेदार पौधा नहीं अपितु वरदान है। जिससे हम अपने घर की उचित दिशा में रखकर इसका पूर्ण लाभ ले सकते हैं। इस अंक में हमने पाठकों द्वारा भेजे गए वास्तु ज्योतिष संबंधित प्रश्नों के उत्तर देने का प्रयास किया है।